MP GK in Hindi: मध्यप्रदेश की प्रमुख जनजातियां – Madhya Pradesh Tribe (Janjatiyan)

MP GK in Hindi: Madhya Pradesh Tribals Detail in Hindi- मध्यप्रदेश में देश की सर्वाधिक जनजातियाँ निवास करती हैं। प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों में इन जनजातियों की उपजातियों सहित कुल 46 जनजातियाँ रहती हैं। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार मध्यप्रदेश की कुल जनसंख्या का 20.27% अनुसूचित जनजातियों का था। 2011 के जनगणना के आकड़ों के अनुसार अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या 1,53,16,784 है, जिसमें 77,19404 पुरुष तथा 7597380 महिलाए है। वहीँ प्रदेश में अनुसूचि जाति की कुल जनसंख्या 2011 की जनगणना के अनुसार 1,13,42,320 है, जिसमें से 59,08,638 पुरुष और 54,33683 महिलाएं हैं। इनकी आबादी राज्य की कुल जनसंख्या का 15.6% है। आइए प्रदेश की मुख्य जनजातियों से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में जानते हैं, जिन्हें प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछा जा सकता है।

मध्यप्रदेश में अनुसूचित जनजाति की सूची

क्रमांकजनजाति का नाम उपजनजातिनिवास क्षेत्र
गोंडअगरिया, ओझा, नगारची, परधानराज्य के लगभग सभी जिलों में मुख्यतः नर्मदा के दोनों तटों पर, विंध्य और सतपुड़ा अंचल पर
भीलपटलिया, भिलाला, बरेलाखरगोन, धार, झाबुआ, खंडवा
सहरियागुना, शिवपुरी, मुरैना, श्योपुर, ग्वालियार, राजगढ़, भिंड, दतिया, अशोक नगर
बैगाबिंझवार, नारोतिया, भरोतिया, काठमैना, रायमैना, नाहर मंडला, बालाघाट, शहडोल
कोरकूमोवासीरूमा, नहाल, बावारी, बोडोपाखंडवा, बैतूल, देवास, होशंगाबाद, छिंदवाडा
भारियाभूमिया, भुईदार, पंडीछिंदवाडा, जबलपुर, शहडोल, पन्ना
कोलरोतिया, रोठेलरीवा, सतना, शहडोल, सीधी, जबलपुर
भाडियाअबुझमाडिया, दण्डामी, पेटाकुईतुरजबलपुर, मंडला, पन्ना, शाहडोल, छिंदवाडा
सउरछतरपुर, पन्ना, टीकमगढ़, सागर, दमोह
खैरवारसीधी, शहडोल, पन्ना
परधानसिवनी, छिंदवाडा, बैतूल, बालाघाट
पनिकाशहडोल, सीधी
अगरियामंडला, सीखी, शहडोल
हल्बाबालाघाट

Bheel Janjati in Hindi- मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा पाई जाने वाली जनजातियां

Bheel Janjati in MP: भील जनजाति मध्यप्रदेश की सबसे बड़ी जनजाति है, जबकि भारत की दूसरी सबसे बड़ी जनजति है। ये प्रोटोआस्ट्रेलायड प्रजाति के अंतर्गत आते हैं। भील शब्द तमिल भाषा के विल्लुर शब्द से बना है, जिसका मतलब तीर कमानधारी होता है। ये स्वयं को महाराणा प्रताप का वंशज मानते हैं। यह जनजाति मध्यप्रदेश के पश्चमी क्षेत्रों धार, झाबुआ, बड़वानी, खरगौन, बुरहानपुर, रतलाम नीमच, जिलों में रहती है।

Bhil Tribe- भील जनजाति की उपजाति

भील जनजाति की उपजनजातियों के बारे में बात करें तो भिलाला, पटलिया, बारेला, राठया, इनकी मुख्य उपजनजातियां हैं। इनकी भाषा भीली है, जो राजस्थानी, गुजराती, तथा मराठी का मिश्रित रूप है। यह दिखने में सामान्य ठिगने होते हैं, शरीर सुगठित और मजबूत होता है। इनकी त्वचा का रंग ताम्बई होता है तथा देखने में सुन्दर होते हैं।

MP Tribal GK in Hindi – भील जनजाति के विभाग

भील जनजाति के 2 उपविभाग होते हैं, पहला उजले भील और दूसरा कालिया भील। उजले भील खुद को उच्च श्रेणी का मानते हैं, वे अपनी लड़कियों की शादी कालिया भीलों से नहीं करते, लेकिन वे उनकी लड़कियों से शादी कर लेते हैं। उजले भील, जिन्हें भिलाला भी कहा जाता है उनकी उत्पत्ति का मुख्य कारण राजपूत राजाओं का भील लड़कियों से विवाह अथवा करना था।

Bheel Janjati ke Nritya & Festivals- भील जनजाति के मुख्य नृत्य और पर्व

ये खेती-किसानी करते हैं, पहाड़ी वनों को जलाकर ये कृषि करते हैं। इनके द्वारा की गई कृषि चिमाता कहलाती है। लकडहारे व श्रमिकों का कार्य भी करते हैं। वहीँ कुछ आर्थिक स्थिति खराब होने की वजह से चोरी-डकैती भी करते हैं। ये भगवन शिव को अपना प्रमुख देवता मानते हैं। जातरा, नवारवानी, भगोरिया, गल, चलावणी, भील जनजाति (Bhil Tribe Festivals) के मुख्य पर्व हैं। ये देश के मुख्य पर्व दिवाली, दशहरा बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। होली के पूर्व 8 दिनों तक ये भगोरिया मेले का आयोजन करते हैं, जो विश्व भर में प्रचलित है। भीलों द्वारा कई नृत्य किये जाते हैं, जिनमें भगोरिया, डोहा, बडवा, धूमर, गौरी मुख्य हैं।

Bhil Tribe MPPSC GK- भील जनजाति में विवाह

भील अधिकांश संयुक्त परिवार निवास करते हैं। इनके मकानों को ‘कु’ कहते हैं, जिनमें खिड़की नहीं होती, वहीँ इनके ग्राम को ‘पाल’ कहा जाता है। इनके विवाह में कन्या मूल्य का प्रचलन है। भीलों में नियमित विवाह गन्धर्व विवाह, हरण विवाह, घर जमाई, नातरा, घर घुस्सी आदि प्रचलित हैं। वहीँ होली के अवसर पर होने वाला विशेष प्रकार का विवाह ‘गोल गाधेड़ो’ भी काफी प्रचलित है। ग्रीष्म ऋतु में ये ‘ताड़ी’ का सेवन करते हैं, जो एक प्रकार की शराब है, जिसे ताड़ के वृक्ष से प्राप्त किया जाता है। इन्हें शरीर पर भिन्न-भिन्न प्रकार की आकृति बनवाना पसंद है।

Gond Janjati in MP- गोंड जनजाति मध्यप्रदेश

गोंड जनजाति- जनसँख्या की दृष्टि से गोंड जनजाति देश की पहली और मध्यप्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी जनजाति है। इस जनजाति का निवास स्थल नर्मदा नदी के दोनों ओर विंध्य और सतपुड़ा के पर्वतीय क्षेत्र में है। प्रदेश के बैतूल, होशंगाबाद, छिंदवाडा, बालाघाट, मंडला, डिंडोरी, शहडोल, सागर, दमोह आदि जिलों में गोंड जनजाति का मुख्य निवास क्षेत्र है। इस क्षेत्र में इनकी जनसँख्या ज्यादा होने पर इसे गोंडवाना क्षेत्र भी कहा जाता है। यह जनजाति द्रविड़ियन (प्रोटोआस्ट्रेलायड) परिवार से सम्बंधित है।

Gond Tribes in Hindi- गोंड का अर्थ

गोंड शब्द की उत्पत्ति तेलुगू शब्द कोंड से हुई है, जिसका मतलब पहाड़ होता है। परधान, अगरिया, ओझा, नागरची, सोलाहस आदि गोंड जनजाति की प्रमुख उपजनजातियां हैं। ओझा अधिकतर तांत्रिक एवं झाडफूंक का काम करते हैं। अगरिया लोहे के कार्य में निपूर्ण होते हैं, परधान पुजारी का काम करते हैं, सोलाहस बढईगीरी, और कोइलाभुता नाचने गाने वाले होते हैं। अबूझामडिया गोंड इस जनजाति का सबसे प्राचीन वर्ग है।

Gond Tribe Detail- गोंड जनजाति की जीवनशैली

गोंड स्वयं को गोंड नहीं बल्कि कोयतोर कहते हैं। इनकी शारीरिक बनावट गठन संतुलित होती है। इनकी नाक बड़ी और फैली हुई होती है तथा त्वचा और बालों का रंग काला होता है और दाढ़ी-मूछ में बाल कम होते हैं। यह जनजाति पितृसत्तात्मक होती है, यानि परिवार का मुखिया पिता होते हैं। इनमें संयुक्त परिवार के साथ ही एकल परिवार का भी प्रचलन है। जीवनयापन करने हेतु गोंड कृषि, शिकार एवं वनोपज भंडारण पर निर्भर रहते हैं। वहीँ कुछ अस्थाई कृषि या झूम भी करते हैं, जिससे पर्यावरण को काफी नुकसान पहुँचता है। ये घास-फूस, बॉस तथा मिट्टी के प्रयोग से बनी झोपड़ियों में रहते हैं। गाँव का मुखिया मुकद्दम (गौटिया) कहलाता है। इस जनजाति में मुख्यता 2 वर्ग होते हैं, पहला जमींदर या भूमिपति वर्ग जिसे राजगोंड कहा जाता है, दूसरा निम्न वर्ग जिसे धुरगोंड या खटोरिया भी कहा जाता है।

Gond Dev List- गोंड जनजाति के प्रमुख देवता

ठाकुरदेव, नारायण देव, लिंगोदेव, खैरमाता, दूल्हादेव, बूढादेव, गोंड जनजाति के प्रमुख देवता हैं। बूढादेव, साज वृक्ष पर रहते हैं और एक सच्चा गोंड साज वृक्ष के पत्ते को हाथ में लेकर कभी भी झूठ नहीं बोलता। वहीँ दूल्हादेव बीमारियों से रक्षा करते हैं। साज वृक्ष के साथ ही ये लोग नाग और पीपल के वृक्ष की भी पूजा करते हैं। अपने त्योहारों को ये बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं। इनके प्रमुख त्योहार विदरी पूजा, हरढीली, बमपंथी, नवारवानी, जवारा, मड़ई, छेरता आदि हैं। इनमें मृत्युगान खेहुल पाटा का प्रचलन है। ये अलग-अलग तरह के संस्कृतिक आयोजन कर अपना मनोरंजन करते हैं। गोंड मड़ई नामक एक खास प्रकार के मेले का भी आयोजन करते हैं। इनमें घोटुल प्रथा का भी प्रचलन है।

Gond People Dance- गोंड जनजाति के प्रमुख नृत्य

गोंडों द्वारा करमा, सैला, भड़ौनी, बिरहा, कहरवा, सजनी, सुआ, दीवानी, नृत्य किया जाता है। इनमें विवाह के लिए भी अलग-अलग तरह की प्रथा का प्रचलन है, इनमें से एक दूध-लौटावा है। इसके अलावा लमसेना विवाह, पठौनी विवाह, चढ़विवाह, विनिमय विवाह, हरण विवाह, विधवा विवाह का भी प्रचलन है। गोंडों में मामा एवं बुआ की लड़की से विवाह करना श्रेष्ठ माना जाता है।

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