छत्रपति शिवाजी का इतिहास- Chhatrapati Shivaji Maharaj History in Hindi

Chhatrapati Shivaji Maharaj General Knowledge in Hindi: छत्रपति शिवाजी महाराज भारतीय इतिहास के महान राजाओं में से एक हैं। इन्होने अपनी बहादुरी से मराठा साम्राज्य का विस्तार किया और कई वर्षों तक मुग़ल साम्राज्य से संघर्ष किया। शिवाजी ने औरंगजेब के भारत पर राज करने के सपने को चकनाचूर कर दिया था। उन्होंने अंग्रेजों को भी अपनी बहादुरी से काफी तंग किया था। आइए वीर छत्रपति शिवाजी महाराज की कहानी और उनसे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्यों के बारे में जानते हैं।

Chhatrapati Shivaji Maharaj History in Hindi

छत्रपती शिवाजी महाराज का जन्म 19 फ़रवरी 1630 ई. को शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। इस दिन महाराष्ट्र सरकार द्वारा हर वर्ष उनकी जयंती (Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti) मनाई जाती है।

Chhatrapati Shivaji Maharaj Story

शिवाजी के पिता का नाम शाहजी भोंसले और उनकी माता का नाम जीजाबाई था। माता जीजाबाई की देख-रेख में ही शिवाजी का बचपन बीता। इस दौरान उनकी माता ने उन्हें महाभारत, रामायण सहित अन्य शास्त्रों की शिक्षा दी, जिसके बाद वे राम भक्त बन गए थे। वे बचपन से ही काफी बहादुर थे और इसी समय उन्हें ब्राहमण दादाजी कोंडा-देव ने उन्हें राजनीति एवं युद्ध कौशल सिखाए।

वहां के शासकों द्वारा एक वर्ग को बढ़ावा और अन्य वर्गों के लोगों पर किए जा रहे अत्याचार को देखकर शिवाजी बेचैन हो जाते थे। तभी उन्होंने मावलों के साथ मिलकर अपनी सेना बनाना शुरू कर दिया। सबसे पहले शिवाजी ने अपनी सेना के साथ मिलकर बीजापुर के किलों पर कब्ज़ा करने की रणनीति बनाई। बीजापुर पर सुल्तान आदिलशाह शासन करता था, मौका देखकर शिवाजी ने बीजापुर के किलों पर कब्ज़ा करना शुरू कर दिया। उन्होंने सबसे पहले रोहिदेश्वर के किले और फिर तोरणा के किले पर अपना अधिकार जमाया था।

Shivaji Maharaj vs Adil Shah

शिवाजी के पिता आदिलशाह के शासन के अंतर्गत प्रमुख पद पर थे, उन्हें पूना की जागीर सौंपी गई थी। जब शिवाजी ने रायगढ़ के किले पर कब्जा कर इसका निर्माण कार्य शुरू किया, तब आदिलशाह ने शिवाजी के पिता से कहा वे अपने बेटे को समझाए, लेकिन पिता के कहने पर भी शिवाजी नहीं रुके। आदिलशाह का गुस्सा बढ़ता गया और उसने शिवाजी के पिता शाहजी राजे को कैदी बना लिया। तब जाकर शिवाजी ने किलों पर कब्ज़ा करना बंद किया। करीब 4 वर्षों तक शिवाजी ने बीजापुर में कोई आक्रमण नहीं किया।

Shivaji vs Chandrarao at Jawali

वर्ष 1656 में शिवाजी ने राजा चन्द्रराव मोरे के राज्य जावली पर कब्ज़ा करने का मन बनाया। शिवाजी ने पत्र लिखकर चन्द्रराव मोरे को सन्देश दिया कि वह शांतिपूर्ण ढंग से अपना राज्य उन्हें सौंप दे, पर राजा ने शिवाजी का यह प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया। जिसके फलस्वरूप शिवाजी ने अपने सैनिकों के साथ जावली पर हमलाकर उसे अपने कब्जे में ले लिया।

Shivaji Maharaj vs Afzal Khan

शिवाजी द्वारा दोबारा किलों पर कज्बा करते देख आदिलशाह आगबबूला हो उठा और उसने अपने सबसे क्रूर सेनापति अफजल खां को आदेश दिए की वह शिवाजी को जिंदा या मुर्दा पकड़ कर लाए। भाईचारे का ढोंग रचाकर अफजल खां शिवाजी से मिलने पहुंचा, लेकिन अफजल द्वारा हमला करने से पहले ही शिवाजी ने अपने नाखुनों में फंसे बघनखे से उस पर हमला कर दिया और 10 नवम्बर 1959 को अफजल खां (Afzal Khan Death) की मृत्यु हो गई।

अफजल खां की हत्या करने के बाद शिवाजी तेजी से किलों पर कब्ज़ा जमाते चले गए, उन्होंने पन्हाला, पवनगढ़, वसंतगढ़, राजापुर तथा दावुल पर अपना कब्ज़ा जमाया।

Shivaji vs Aurangzeb

उत्तर की बादशाहत हासिल करने के बाद औरंगजेब दक्षिण में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहता था। दक्षिण में शिवाजी अपना विस्तार तेजी से कर रहे थे। शिवाजी पर काबू पाने के लिए औरंगजेब ने अपने मामा शाइस्ता खाँ को दक्षिण का सूबेदार बनाया। शाइस्का खाँ ने अपनी फ़ौज के साथ दक्षिण क्षेत्र में 3 वर्षों तक खूब लूटपाट मचाई। इसी बीच मौका देखते ही शिवाजी ने 350 मवलो के साथ शाइस्का खाँ हमला कर दिया। इस दौरान शिवाजी की तलवार से शाइस्ता की चार उंगलिया कट गई, लेकिन वह भागने में कामयाब रहा।

Shivaji and Raja Jaysingh (Purandar Ki Sandhi)

शिवाजी ने मुगल शासित क्षेत्रों में लूटपाट करना शुरू किया। सूरत में लूट मचाकर शिवाजी ने काफी धन एकत्रित किया। शिवाजी के बढ़ाते प्रभुत्व को देखकर औरंगजेब ने राजा जयसिंह को हमला करने के आदेश दिए। जब शिवाजी पुरंदर किले (Purandar Fort) में थे तब राजा जयसिंह ने अपनी सेना के साथ उन्हें घेर लिया, जिसके बाद शिवाजी शांति संधि करने के लिए तैयार हुए। जून 1665 में हुई इस सन्धि को पुरंदर की संधि कहा गया।

वर्ष 1666 में शिवाजी पहली बार औरंगजेब के आगरा दरबार में प्रस्तुत हुए, लेकिन यहां उन्हें सम्मान नहीं दिया गया और रोष में आकर वे दरबार से बाहर निकल गए। औरंगजेब ने शिवाजी को नजरबंद कर दिया, अपर वे वहां से निकलने में कामयाब रहे।

जसवंत सिंह के द्वारा वर्ष 1668 में मराठा और मुगलों में दोबारा शांति संधि हुई और औरंगजेब ने शिवाजी को राजा की उपाधि दी।

Chhatrapati Shivaji Maharaj Death Reason

वर्ष 1670 में शिवाजी ने दोबारा मुगलों के अधिपत्य सूरत नगर में लूटपाट शुरू की और यहां उनकी सेना ने मुगलों की सेना को हराया। 1674 में ब्राह्मण द्वारा रायगढ़ में भव्य रूप से शिवाजी का राज्याभिषेक किया गया। इसी दौरान उन्हें छत्रपति की उपाधि दी गई। वर्ष 1680 में बीमारी की वजह से उनकी मृत्यु हो गयी थी। उनकी मृत्यु के बाद उनके ज्येष्ठ पुत्र संभाजी को उत्तराधिकार दिया गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*